मैक्रोइकॉनोमय या मिक्रोइकॉनॉमिक्स का मतलब होता है एक छोटे स्तर पर अर्थव्यवस्था का अध्ययन, जिसमे हम एक व्यक़्ति, घर का परिवर, या छोटी बिज़नेस की आर्थिक फैसले और व्यवहार को समझते है। ये अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो व्यक्तिगत इकाइयों जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक से संबंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करती है। माइक्रोइकॉनॉमिक्स विशिष्ट बाज़ारों, क्षेत्रों या उद्योगों के विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करता है।

माइक्रो इकॉनमी छोटे स्तर मेंअर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है
जैसे:
- एक दुकान वाला क्या बेचता है और कितने में बेचता है
- ग्राहक क्या खरीदते हैं और क्यों खरीदते हैं
- एक फैक्ट्री कितना माल बनाती है और कितनी लागत लगती है
यानि ये उस छोटे-छोटे फैसलों को समझता है जो लोग, दुकानदार, कंपनियाँ रोज़ाना लेते हैं।

आसान उदाहरण से समझो:-
मान लो आपके गाँव में एक चाय की दुकान है।
- अगर चाय ₹10 की है और लोग ज़्यादा खरीदते हैं, तो दुकानदार खुश होता है।
- अगर चाय ₹20 की हो जाए और लोग कम खरीदें, तो दुकानदार को नुकसान हो सकता है।
अब ये जो चाय की कीमत, ग्राहक की पसंद, और दुकानदार का फैसला है — ये सब माइक्रोइकोनॉमिक्स के अंदर आता है।
ये किसी देश के लिए क्यों ज़रूरी है?
इक्रोइकोनॉमिक्स से हमें ये समझ आता है कि:–
- लोग क्या खरीदना पसंद करते हैं
- कंपनियाँ कैसे काम करती हैं
- सरकार टैक्स या सब्सिडी कैसे दे ताकि लोगों को फायदा हो
इससे देश की नीतियाँ बनती हैं — जैसे:
- गरीबों को सस्ती चीज़ें कैसे मिलें
- किसानों को सही दाम कैसे मिले
- बेरोजगारी कैसे कम हो
यानि देश की तरक्की के लिए ये बहुत ज़रूरी है।
माइक्रोइकोनॉमिक्स के आसान उदाहरण –
1. सब्ज़ी मंडी का भाव
- अगर टमाटर की फसल ज़्यादा हो गई, तो मंडी में टमाटर सस्ते हो जाते हैं।
- अगर बारिश से फसल खराब हो गई, तो टमाटर महंगे हो जाते हैं।
ये मांग और आपूर्ति का खेल है — माइक्रोइकोनॉमिक्स यही समझाता है कि कीमतें कैसे तय होती हैं।
2. दूध बेचने वाला किसान
- एक किसान सोचता है कि वो दूध ₹50 लीटर बेचे या ₹60 लीटर।
- वो देखता है कि ग्राहक कितने पैसे देने को तैयार हैं और कितना मुनाफा उसे मिलेगा।
ये लाभ अधिकतमकरण (Profit Maximization) का उदाहरण है।
3. मोबाइल खरीदने का फैसला
- आप सोचते हैं कि ₹10,000 वाला मोबाइल लें या ₹15,000 वाला।
- आप अपनी ज़रूरत, बजट और पसंद के हिसाब से फैसला लेते हैं।
ये उपयोगिता अधिकतमकरण (Utility Maximization) कहलाता है — यानि जो चीज़ आपको सबसे ज़्यादा फायदा दे।
4. एक दुकान की बिक्री
- दुकान वाला देखता है कि कौन-सी चीज़ ज़्यादा बिक रही है — नमकीन, बिस्किट या साबुन।
- वो उसी चीज़ का ज़्यादा स्टॉक मंगवाता है और बाकी कम करता है।
ये उपभोक्ता व्यवहार (Consumer Behavior) का हिस्सा है।
सरकारी सब्सिडी का असर –
- सरकार कहती है कि गैस सिलेंडर पर ₹200 की सब्सिडी मिलेगी।
- इससे गरीब लोग ज़्यादा गैस सिलेंडर खरीदते हैं।
ये दिखाता है कि सरकार के फैसले से लोगों का व्यवहार कैसे बदलता है — माइक्रोइकोनॉमिक्स इसे भी समझता है।
माइक्रोइकोनॉमिक्स को समझने के पैमाने:-
1. मांग (Demand)
2. आपूर्ति (Supply)
3. कीमत (Price)
4. उपयोगिता (Utility)
5. लाभ (Profit)
6. उत्पादन लागत (Cost of Production)
7. बाजार संरचना (Market Structure)
8. सरकारी नीतियाँ (Government Policies )