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CPI (Consumer Price Index )क्या होता है, अर्थव्यवस्था को समझने में कैसे मदद करता है |

CPI यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एक ऐसा उपकरण है जो महंगाई (इन्फ्लेशन) को मापता है। यह बताता है कि रोजमर्रा की चीजें और सेवाएं जैसे खाना, कपड़े, घर का किराया, पेट्रोल, दवाइयां आदि की कीमत समय के साथ कितनी बढ़ रही है या घट रही है। यह आम आदमी (उपभोक्ताओं) के लिए बनाया गया सूचकांक है, जो उनके खर्चों पर फोकस करता हैऔर शहरी उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे जाने वाले उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की एक टोकरी की कीमतों में औसत बदलाव को ट्रैक करता है।

यह महंगाई को मापने के लिए एक प्रमुख संकेतक है। जब CPI बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि लोगों को समान वस्तुएं और सेवाएं खरीदने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है, जिससे उनकी क्रय शक्ति (purchasing power) कम हो जाती है।

यह सरकार और अर्थशास्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की सेहत को दिखाता है।

कैसे काम करता है?

CPI की गणना करने के लिए सरकार एक “बास्केट” तैयार करती है जिसमें रोज़मर्रा की चीज़ें और सेवाएँ शामिल होती हैं. हर बार इनकी कीमतें नोट की जाती हैं और वर्ष-दर-वर्ष/महीना दर महीना तुलना की जाती है. अगर इनकी कीमतें बढ़ती हैं तो CPI बढ़ जाता है, यानी महंगाई बढ़ रही है. अगर CPI घटे तो इसका मतलब कई चीज़ें सस्ती हो रही हैं, जो एक औसत परिवार के खर्च का प्रतिनिधित्व करती है। इस टोकरी में भोजन, कपड़े, परिवहन, चिकित्सा देखभाल और शिक्षा जैसी चीजें शामिल होती हैं।

  1. आधार वर्ष (Base Year) का चयन: एक आधार वर्ष तय किया जाता है, जिसके CPI को 100 माना जाता है।
  2. कीमतों का सर्वेक्षण: विभिन्न शहरों में उन टोकरी की वस्तुओं की कीमतों का मासिक या तिमाही सर्वेक्षण किया जाता है।
  3. सूचकांक की गणना: इन वर्तमान कीमतों की तुलना आधार वर्ष की कीमतों से की जाती है और एक सूचकांक (index) बनाया जाता है।

उदाहरण के लिए

यदि आधार वर्ष में टोकरी की कीमत ₹1,000 थी और अगले वर्ष वही टोकरी ₹1,100 की हो जाती है, तो CPI 110 हो जाएगा। इसका मतलब है कि महंगाई 10% बढ़ी है।

अर्थव्यवस्था को समझने में कैसे मदद करता है?

CPI एक प्रकार का थर्मामीटर है जो बताता है कि अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कितनी गर्म या ठंडी हैं, जिससे हमें महंगाई और लोगों की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगता है।

क्यों ज़रूरी है CPI?

एकदम सरल उदाहरण –

अगर पिछले साल दूध ₹50 लीटर था और आज ₹54 लीटर है, तो दूध की कीमत 8% बढ़ गई. ऐसे ही बाकी चीज़ों को जोड़कर CPI बनाया जाता है, जिससे एक औसत निकलता है और पूरी महंगाई का अंदाजा होता है

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