Credit Rating क्या होता है ,भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया भर की रेटिंग एजेंसी का आउटलुक

क्रेडिट रेटिंग एक तरह का "स्कोरकार्ड" होता है, जो किसी देश, कंपनी या व्यक्ति को उधार चुकाने की क्षमता के बारे में बताता है। 

अगर आपका रिपोर्ट कार्ड अच्छा है, मतलब आपको अच्छी ग्रेड मिली है, तो इसका मतलब है कि आप अपना उधार समय पर चुकाने की पूरी कोशिश करते हैं और बैंकों को आप पर भरोसा है। अगर रेटिंग खराब है, तो इसका मतलब है कि आपको उधार चुकाने में मुश्किल आ सकती है।सरल शब्दों में, यह बताता है कि क्या आप या आपका देश कर्ज (लोन) समय पर वापस कर पाएंगे या नहीं। यह रेटिंग AAA से लेकर D तक की ग्रेडिंग पर आधारित होती है – AAA सबसे अच्छा (बहुत सुरक्षित) और D सबसे खराब (डिफॉल्ट, यानी कर्ज न चुका पाना)।

 क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां इस काम के लिए स्पेशल कंपनी होती हैं, जैसे भारत में CIBIL, CRISIL, ICRA, CARE आदि ,दुनिया में कुछ बड़ी एजेंसियां हैं जो यह रेटिंग देती हैं:

  • Fitch
  • Moody’s
  • S&P (Standard & Poor’s)

क्रेडिट रेटिंग कैसे काम करती है?

  • जांच-पड़ताल: एजेंसी उस देश या कंपनी के आर्थिक डेटा को देखती है – जैसे GDP (कुल उत्पादन), कर्ज का बोझ, कमाई, सरकारी नीतियां, राजनीतिक स्थिरता आदि। भारत के मामले में, वे बजट, टैक्स कलेक्शन, विदेशी निवेश और महंगाई जैसी चीजें चेक करते हैं।
  • रिस्क का आकलन: वे सोचते हैं – “क्या यह देश कर्ज चुका पाएगा?” अगर अर्थव्यवस्था मजबूत है (जैसे अच्छी ग्रोथ, कम बेरोजगारी), तो ऊंची रेटिंग। अगर मुश्किलें हैं (जैसे ज्यादा कर्ज, युद्ध या महामारी), तो कम रेटिंग।
  • रिपोर्ट जारी: हर कुछ महीनों में वे “आउटलुक” या “रिव्यू” जारी करते हैं – स्टेबल (स्थिर), पॉजिटिव (सकारात्मक, सुधार की उम्मीद) या नेगेटिव (नकारात्मक, खतरा)। रेटिंग बदलने पर (अपग्रेड या डाउनग्रेड) पूरी दुनिया में खबर बन जाती है।
  • देश की आर्थिक स्थिति कैसी है?
  • सरकार कितना कर्ज ले रही है?
  • क्या सरकार समय पर कर्ज चुका रही है?
  • देश में राजनीतिक स्थिरता है या नहीं?
  • विदेशी निवेश कितना आ रहा है?

आउटलुक क्या होता है?

सिर्फ रेटिंग नहीं, “आउटलुक” भी दिया जाता है—तीन तरह के आउटलुक:

Positive (सुधर सकता है),

Stable (जैसा है वैसा रहेगा),

और Negative (गिर सकता है)

इसका इस्तेमाल निवेशक अंदाजा लगाने को करते हैं कि आने वाले समय में उस देश या कंपनी की हालत सुधरेगी या खराब होगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया की रेटिंग एजेंसियों का आउटलुक (सितंबर 2025 तक)

भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया भर की रेटिंग एजेंसी का भरोसा बढ़ाता जा रहा है.

जापान की रेटिंग एंड इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन (R&I) ने भारत की लॉन्ग टर्म सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड दिया है. ये साल 2025 में भारत को रेटिंग एजेसियों से मिला तीसरा अपग्रेड है. R&I ने क्रेडिट रेटिंग को ट्रिपल B (BBB) से अपग्रेड कर ट्रिपल B प्लस (BBB +) कर दिया है. इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आउटलुक भी स्टेबल रखा है. इससे पहले इससे पहले S&P और मॉर्निंगस्टार DBRS भी भारत की आर्थिक स्थिति पर भरोसा जता चुके हैं. अगस्त 2025 में  S&P ने रेटिंग को ट्रिपल B माइनस (BBB-) से ट्रिपल B (BBB) और मई में मॉर्निंगस्टार DBRS ने ट्रिपल B Low ( BBB Low) से ट्रिपल B ( BBB) किया है.

क्या है रेटिंग में सुधार का मतलब ?

रेटिंग का मतलब है कि कोई देश अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में कितना सक्षम है. इससे इन देशों में आर्थिक जोखिमों के स्तर का पता चलता है और इसी आधार पर निवेश या कर्ज का प्रवाह तय होता है. ट्रिपल B आमतौर पर निवेश योग्य रेटिंग मानी जाती है. रेटिंग जितनी अपग्रेड होती है वो देश उतना कम जोखिम वाला और उतना ही ज्यादा निवेश के योग्य माना जाता है ऐसे में कर्ज दरें घटती हैं और विदेशी निवेश बढता है जो आगे अर्थव्यवस्था को और मजबूती देता है

दुनिया की नजर में भारत –

भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं जैसे महंगाई, बेरोज़गारी और फिस्कल घाटा।

रेटिंग एजेंसियां भारत की नीतियों और सुधारों को लगातार देखती हैं।

अगर भारत सुधार करता है और कर्ज कम लेता है, तो रेटिंग बेहतर हो सकती है।

IMF, World Bank, ADB जैसी संस्थाएं भी भारत की ग्रोथ को 6.3% से 6.9% तक मान रही हैं

भारत कैसे सुधार कर रहा है?

  • GST सुधार और टैक्स सिस्टम को आसान बनाया गया।
  • मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं से घरेलू उत्पादन बढ़ा।
  • बुनियादी ढांचे में निवेश – सड़कें, रेलवे, बंदरगाह आदि।
  • नियमों को सरल किया गया ताकि विदेशी निवेशक आसानी से व्यापार कर सकें।

Rule of 72 का नियम क्या है , ये कैसे काम करता है?

Rule of 72 एक बहुत आसान तरीका है, जिससे आप पता कर सकते हैं कि कोई भी पैसा कितने साल में डबल (दोगुना) हो जाएगा।ये एक छोटा सा गणित का फॉर्मूला है, जो बिना कैलकुलेटर के जल्दी से हिसाब करने में मदद करता है।

ये कैसे काम करता है? –

72 को उस ब्याज दर से भाग देना है, जितना सालाना ब्याज आपको मिल रहा है और या फिर आप कितना परसेंट रिटर्न चाहते हो की आप का पैसा डबल हो जाये |

मान लो तुमने कुछ पैसे कहीं निवेश किए, जैसे बैंक में, म्यूचुअल फंड में, या कोई और जगह, और उस पर हर साल एक निश्चित ब्याज मिल रहा है। Rule of 72 बताता है कि तुम्हारा पैसा दोगुना होने में कितना समय लगेगा। इसके लिए तुम्हें सिर्फ ब्याज की दर (interest rate) को 72 से भाग देना है।

फॉर्मूला: –

पैसा डबल होने में लगने वाला समय = 72 ÷ ब्याज दर (प्रतिशत में)

चलिए इसको उदाहरण से समझते हैं: –

मान लो तुमने 10,000 रुपये बैंक में FD (Fixed Deposit) में डाले, और उस पर 6% ब्याज मिल रहा है हर साल। अब Rule of 72 के हिसाब से: 72 ÷ 6 = 12 साल यानी तुम्हारे 10,000 रुपये 12 साल में दोगुने होकर 20,000 रुपये हो जाएंगे।

अगर ब्याज की दर 8% हो, तो: 72 ÷ 8 = 9 साल यानी 9 साल में तुम्हारा पैसा दोगुना हो जाएगा।

अगर ब्याज की दर 12% हो, तो: 72 ÷ 12 = 6 साल यानी 6 साल में पैसा दोगुना।

कब काम आता है? –

बैंक की FD में

म्यूचुअल फंड में

शेयर मार्केट में

लोन (Loan), महंगाई (Inflation), या किसी भी चीज़ में जो हर साल बढ़ती है, वहाँ भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।

अगर तुम निवेश करना चाहते हो और जानना चाहते हो कि कितने साल में तुम्हारा पैसा दोगुना होगा। ये नियम तुम्हें ये समझने में मदद करता है कि ब्याज की दर कितनी जरूरी है। जैसे, 4% ब्याज पर पैसा दोगुना होने में 18 साल लगेंगे (72 ÷ 4), लेकिन 8% पर सिर्फ 9 साल।

ध्यान रखने वाली बात: –

  • ये एक अनुमान है, बिल्कुल सटीक नहीं होता।बाजार में उतार-चढ़ाव होते हैं, तो असली समय थोड़ा अलग हो सकता है।
  • ये नियम कंपाउंड इंटरेस्ट के लिए है, न कि साधारण ब्याज (simple interest) के लिए।
  • अगर ब्याज की दर हर साल बदलती है (जैसे शेयर मार्केट में), तो ये नियम सिर्फ अनुमान देगा। बहुत ज्यादा ब्याज दर (जैसे 20% से ज्यादा) पर ये नियम थोड़ा कम सटीक हो सकता है।

समझ लो सीधी बात –

इस नियम के लिए आपको न कोई कॉम्प्लेक्स गणित आना चाहिए, न ही कोई कैलकुलेटर चाहिए।
बस “72” को अपनी ब्याज या सालाना रिटर्न रेट से भाग देना है,

  • ब्याज ज्यादा होगा → पैसा जल्दी दुगुना होगा।
  • ब्याज कम होगा → पैसा देर से दुगुना होगा।

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana)


पीएम सूर्य घर मुफ्त ब‍िजली योजना क्‍या है?

PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana: केंद्र सरकार की इस खास योजना का फायदा उठाकर आप ब‍िजली के मोटे ब‍िलों से छुटकारा पा सकते हैं। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त ब‍िजली योजना के तहत आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवा सकते हैं। इसके ल‍िए सरकार सब्‍स‍िडी भी देती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी, 2024 को देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और विदेशों पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू रूफटॉप सौर योजना पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत सोलर पैनल लगवाने के लिए सब्सिडी देने का प्रावधान रखा गया।

सोलर पैनल लगवाने के बाद आप 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली पा सकते हैं। यही नहीं अगर ज्यादा बिजली पैदा होती है तो उसे सरकार को बेचकर पैसा भी कमाया जा सकता है। इस योजना के तहत सरकार ने साल 2027 तक एक करोड़ सोलर पैनल लगाने का लक्ष्य बनाया। एक करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचाने के लक्ष्य के साथ सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से हर साल 75,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। साथ ही इस योजना से कार्बन फुटप्रिंट भी कम करने में मदद मिलेगी।

पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना संबंधी मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा फरवरी 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य छतों पर सौर पैनल संस्थापित कर एक करोड़ घरों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है।
  • इस योजना का परिव्यय 75,021 करोड़ रुपए है और इसे वित्त वर्ष 2026-27 तक लागू किया जाना है।
  • इसके अंतर्गत प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जाती है तथा संस्थापना लागत के लिये 40% तक सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे संपूर्ण देश में सौर ऊर्जा को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिलता है।

योजना की पात्रता

  • नागरिकता: आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • आयु: न्यूनतम 18 वर्ष।
  • घर: वैध मकान का मालिक होना चाहिए, छत पर जगह होनी चाहिए, और बिजली का वैध कनेक्शन होना चाहिए।
  • आय सीमा: सालाना आय ₹6 लाख तक (मुख्य रूप से प्राथमिकता)।
  • पहले कोई सब्सिडी न ली हो: पहले सोलर सब्सिडी का लाभ न लिया हो।

योजना के लाभ

  • मुफ्त बिजली: हर महीने 300 यूनिट तक हर घर को बिजली मुफ्त।
  • सब्सिडी:
    • 1–2 किलोवाट पैनल के लिए ₹30,000 प्रति kW की सब्सिडी (2 kW तक कुल ₹60,000)।
    • 2-3 kW के बाद हर kW पर ₹18,000 अतिरिक्त (3 kW तक ₹78,000)।
    • दिल्ली में अतिरिक्त ₹30,000 सब्सिडी राज्य सरकार की ओर से।
  • लोन: पैनल इंस्टालेशन के लिए रियायती बैंक लोन की सुविधा।
  • अन्य लाभ: बची हुई बिजली सरकार को बेच सकते हैं; रोज़गार और तकनीकी कौशल में बढ़ोतरी।

आवेदन प्रक्रिया

ऑनलाइन आवेदन: आधिकारिक पोर्टल https://pmsuryaghar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करें।

हेल्पलाइन: 15555

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