GST Reforms से इकॉनमी पे क्या असर पड़ेगा ?

GST सुधारों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, खासकर उपभोक्ता खर्च (consumption) को बढ़ावा देने में। नए GST सुधारों के तहत टैक्स स्लैब्स को सरल बनाकर और जरूरी वस्तुओं पर टैक्स दरें कम करके उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ कम किया जाएगा, जिससे उनकी क्रय क्षमता बढ़ेगी। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और GDP वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

इसके साथ ही व्यवसायों के लिए भी चीजें आसान बनाने की कोशिश है. 5% और 18% की नई टैक्स स्लैब्स साथ-साथ हानिकारक और लग्जरी वस्तुओं के लिए 40% की दर वाला यह नया टैक्स स्ट्रक्चर उपभोक्ता खर्च और आर्थिक विकास को बढ़ाने के अलावा मिडिल क्लास और एमएसएमई को राहत प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है |

जीडीपी पर क्या असर पड़ेगा

  • उपभोक्ता खर्च (Consumption): रोजमर्रा की वस्तुओं, पैकेज्ड फूड आइटम्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सहित अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं पर जीएसटी दरें कम करने से उपभोक्ताओं के लिए कीमतें सीधे तौर पर कम हो जाएंगी, जो खर्च और मांग को बढ़ावा देंगी , भारत की GDP में उपभोक्ता खर्च लगभग 60% होता है, इसलिए यह सुधार सीधे GDP को 0.3% से 0.7% (30-70 बेसिस प्वाइंट) तक बढ़ा सकता है।
  • औपचारिक अर्थव्यवस्था (Formal Economy): टैक्स स्लैब simplification और बेहतर प्रशासन से अधिक व्यवसाय GST के दायरे में आएंगे, जिससे औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा।
  • आसान टैक्स स्ट्रक्चर : ज्यादातर वस्तुओं और सर्विसेज के लिए चार स्लैब से दो स्लैब फ्रेमवर्क (5% और 18%) में बदलाव से प्रोसेस आसान होने और भारत में व्यापार करने में आसानी में सुधार होने की उम्मीद है.सुधारों के कारण कर ( Tax )अनुपालन आसान और कम महंगा होगा, जिससे इनका विकास बढ़ेगा।
  • सरकारी राजस्व और वित्तीय स्थिति (Revenue and Fiscal Health):
  • शुरुआती चरण में कुछ राजस्व में कमी हो सकती है, लेकिन दीर्घकाल में कर संग्रह में वृद्धि की उम्मीद है। GST के दो-स्तरीय सुधार से सरकार के राजस्व घाटे की संभावना है, खासकर केंद्र सरकार के लिए। हाल की रिपोर्ट्स और विश्लेषणों के अनुसार, GST की दरों में कटौती के कारण भारत सरकार को सालाना कम से कम 3,700 करोड़ रुपये से लेकर 48,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व घाटा हो सकता है। कुछ विश्लेषणों में यह घाटा 10,000 करोड़ से ऊपर भी अनुमानित है इससे सरकार का वित्तीय घाटा थोड़ा प्रभावित हो सकता है, लेकिन सुधार स्थायी और प्रगतिशील होंगे।

संक्षेप में –

  • GST सुधार उपभोक्ता खर्च को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
  • छोटे व्यवसाय और औपचारिक क्षेत्र को लाभ मिलेगा।
  • सरकार को राजस्व का कुछ हिस्सा कम मिलेगा लेकिन कुल मिलाकर आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी।

कब लागू होंगी gst की नई दरें : नई जीएसटी दरें 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी होंगी.

सेक्टर्स को फायदा 

खाद्य और घरेलू वस्तुएं:
रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं जैसे साबुन, टूथपेस्ट, ब्रेड, पैकेज्ड फूड आदि पर GST दर 5% हो जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं को रियायत मिलेगी और इन वस्तुओं की मांग बढ़ेगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स और उपभोक्ता वस्तुएं:
टीवी, एयर कंडीशनर, डिशवॉशर, छोटे घरेलू उपकरणों पर GST 18% से कम होकर अधिक वहनीय होगी। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और बिक्री में बढ़ोतरी होगी।

गृह निर्माण और निर्माण सामग्री:सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री पर GST दर कम होने से हाउसिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी, निर्माण की लागत घटेगी और नया निवेश बढ़ेगा।
ऑटोमोबाइल सेक्टर:
वाहन और ऑटो पार्ट्स के लिए स्पष्ट कर वर्गीकरण और टैक्स दरों में बदलाव से विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
कृषि और स्वास्थ्य:
कृषि आधारित उत्पादों और स्वास्थ्य सेवाओं पर टैक्स में छूट और सुधार से ये सेक्टर्स और भी प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
एमएसएमई और स्टार्टअप:
अनुपालन और टैक्स भरने में आसानी आने से छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को लाभ होगा, जिससे उनकी आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी।

क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है ?

क्रेडिट कार्ड काम कैसे करता है , लेकिन उससे पहले ये जानते है कि क्रेडिट कार्ड होता क्या है |

क्रेडिट कार्ड एक भुगतान कार्ड है, जो आमतौर पर बैंक द्वारा जारी किया जाता है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को सामान या सेवाएं खरीदने या क्रेडिट पर नकदी निकालने की अनुमति देता है। इस प्रकार कार्ड का उपयोग करने पर कर्ज़ चढ़ जाता है जिसे बाद में चुकाना पड़ता है। क्रेडिट कार्ड का अर्थ एक वित्तीय टूल है जो बैंक द्वारा जारी किया जाता है। इसका उपयोग कर आप अपने पर्सनल खर्चों, ऑनलाइन खरीददारी, यात्रा आदि के लिए कहीं भी व कभी भी कर सकते हैं।

क्रेडिट कार्ड का सही तरीके से उपयोग आपको आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। आइए जानते है कि क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है:

  1. क्रेडिट लिमिट: बैंक या कार्ड जारीकर्ता आपकी क्रेडिट योग्यता के आधार पर एक सीमा निर्धारित करता है, जिसे क्रेडिट लिमिट कहते हैं। आप इस लिमिट के अंदर ही खर्च कर सकते हैं।
  2. खरीदारी: जब आप क्रेडिट कार्ड से कोई सामान या सेवा खरीदते हैं, तो आपका कार्ड नंबर व्यापारी के बैंक को भेजा जाता है। यह बैंक क्रेडिट कार्ड नेटवर्क के माध्यम से आपकी जानकारी करदाता बैंक (कार्ड जारीकर्ता) को भेजता है।
  3. लेन-देन की पुष्टि: कार्ड जारीकर्ता बैंक आपके खाते की क्रेडिट लिमिट और अन्य विवरण जांच कर लेन-देन को स्वीकृत या अस्वीकृत करता है।
  4. ब्याज मुक्त अवधि: क्रेडिट कार्ड में आमतौर पर 40-50 दिनों का बिलिंग साइकिल होता है, जिसमें अगर आप पूरा बिल समय पर चुकाते हैं तो ब्याज नहीं लगता।
  5. बिल और भुगतान: हर महीने आपको क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट प्राप्त होता है जिसमें आपके कुल खर्चे, शेष राशि, न्यूनतम भुगतान राशि और भुगतान की अंतिम तिथि होती है। आप तय दिन तक भुगतान कर सकते हैं या कम से कम न्यूनतम राशि चुका सकते हैं।
  6. ब्याज: अगर आप पूरा बिल समय पर नहीं चुकाते हैं तो शेष राशि पर ब्याज लगना शुरू हो जाता है, जो आमतौर पर 35%-40% और ज्यादा भी हो सकता है ये डिपेंड करता है उस बैंक पर जो क्रेडिट देता है आपको ।
  7. कैश एडवांस: क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आप नकद भी निकाल सकते हैं, लेकिन कैश एडवांस पर ब्याज तुरंत लगना शुरू हो जाता है और यह सामान्य खर्च की तुलना में अधिक महंगा पड़ता है।
  8. रिवॉर्ड और कैशबैक: कई क्रेडिट कार्ड रिवार्ड पॉइंट, कैशबैक और अन्य लाभ भी देते हैं, जैसे खाने-पीने, ट्रैवल, या शॉपिंग पर छूट।

व्यावहारिक उदाहरण के साथ समझिये:

  1. क्रेडिट लिमिट मिली:
    मान लीजिए बैंक ने आपको 50,000 रुपये का क्रेडिट कार्ड दिया है। इसका मतलब है कि आप अधिकतम 50,000 रुपये तक का खर्च कर सकते हैं।
  2. खरीदारी करना:
    आप कहीं कपड़े खरीदने जाते हैं और 10,000 रुपये के कपड़े खरीदते हैं। आप अपने क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं।
  3. लेन-देन प्रोसेसिंग:
    आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी (जैसे कार्ड नंबर, एक्सपायर डेट, CVV) दुकान के बैंक को भेजी जाती है।
    बैंक आपकी क्रेडिट लिमिट और डिटेल्स चेक करता है और अगर सब ठीक हो तो खरीदारी को मंजूरी दे देता है।
  4. बैंक भुगतान करता है दुकानदार को:
    बैंक तुरंत दुकानदार को 10,000 रुपये भेज देता है ताकि आपका सामान फटा-फट मिल सके।
  5. आपका क्रेडिट लिमिट घटती है:
    अब आपकी क्रेडिट लिमिट 50,000 – 10,000 = 40,000 रुपये रह जाती है, यानी आप अगले 40,000 रुपये तक ही खर्च कर सकते हैं।
  6. बिल और भुगतान:
    महीने के अंत में बैंक आपको क्रेडिट कार्ड का एक स्टेटमेंट भेजेगा जिसमें आपकी कुल खर्ची हुई राशि दिखेगी।
    • आपको यह दिखाया जाएगा कि कुल कितना खर्च हुआ (यहाँ 10,000 रुपये)
    • आखिरी तारीख तक पूरा बिल चुकाने पर कोई ब्याज नहीं लगेगा
    • आप चाहे तो न्यूनतम राशि भी चुका सकते हैं, लेकिन शेष राशि पर ब्याज लगेगा
  7. ब्याज मुक्त अवधि:
    आमतौर पर ये अवधि लगभग 40-50 दिन होती है, अगर आप इस अवधि में पूरा बिल चुका देते हैं तो आपको कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना पड़ता।
  8. यदि भुगतान समय पर न हुआ:
    अगर आप पूरा या न्यूनतम बिल अंतिम तारीख तक नहीं चुका पाते, तो शेष राशि पर बैंक ब्याज वसूल करेगा।
  9. रिवॉर्ड और कैशबैक:
    कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां आपको खर्च पर रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक, छूट और ऑफर्स भी देती हैं। जैसे आपने कुछ खरीदारी की, तो आपको कुछ पैसे वापस मिल सकते हैं या पॉइंट्स जमा हो सकते हैं जिन्हें आप भविष्य में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  10. कैश एडवांस:
    क्रेडिट कार्ड से आप एटीएम से नकद भी निकाल सकते हैं, लेकिन कैश एडवांस पर ब्याज तुरंत लगने लगता है जो बहुत अधिक होता है।

इस प्रकार, क्रेडिट कार्ड आपको तुरंत खरीदारी की सुविधा देता है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल महत्वपूर्ण है ताकि उधार में ब्याज न बढ़े और क्रेडिट स्कोर भी अच्छा बना रहे।

म्यूच्यूअल फण्ड क्या होता है ?

म्यूचुअल फंड एक निवेश साधन है जिसमें कई निवेशक अपना पैसा एक साथ जमा करते हैं और इस पैसे को पेशेवर फंड मैनेजर के द्वारा शेयरों, बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटी या बाजार के अन्य साधनों में निवेश किया जाता है। फंड मैनेजर अलग-अलग कंपनियों और सेक्टरों के हिसाब से निवेश का फैसला लेतेहैं |

ये पेशेवर रूप से प्रबंधित फंड व्यक्तियों को स्टॉक, बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स सहित विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करने का एक तरीका प्रदान करते हैं |

आसान भाषा में और साधारण उदाहरण में –

मान लीजिए गाँव के 10 लोग एक साथ पैसा इकट्ठा करते हैं, हर किसी के पास थोड़ा-थोड़ा पैसा है, किसी के पास 100 रुपए, किसी के पास 500 रुपए, किसी के पास 1000 रुपए। सब लोग अपना-अपना पैसा इकट्ठा कर के कुल मिला के एक बड़ा थैला भर लेते हैं।

अब गांव के सबसे समझदार, भरोसेमंद और पढ़े-लिखे आदमी को बोलते हैं – “भाई, यह हमारा पैसा ले जा और इस पैसे को शहर में अच्छे धंधों या जगहों पर लगा दो , जिससे हमें फायदा हो और हमारा पैसा बढ़े।” वह शख्स जाता है, अलग-अलग धंधों में या चीज़ों में थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाता है, समझदारी से। जो भी मुनाफा (फायदा) या नुक़सान होता है, सब को उनके हिस्से के हिसाब से बांट देता है।

असली दुनिया में कैसे होता है?

  • म्यूचुअल फंड का मतलब है – बहुत सारे लोग थोड़ा-थोड़ा पैसा जमा करते हैं।
  • कंपनी या बैंक उस पैसे को अलग-अलग कंपनियों के शेयर, बांड, या दूसरी जगह लगाती है।
  • मुनाफा या नुक़सान सबको बराबर-बराबर उनके हिस्से के हिसाब से मिलता है।

म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?

  • सभी निवेशकों का पैसा एकत्रित कर “Asset Management Company (AMC)” एक फंड बनाती है।
  • फंड मैनेजर इस रकम को शेयर, बॉन्ड, आदि में निवेश करता है।
  • बदले में निवेशकों को म्यूचुअल फंड की यूनिट्स मिलती हैं, हर यूनिट की कीमत NAV (Net Asset Value) कहलाती है।
  • निवेश से मिलने वाला मुनाफा (profit) – डिविडेंड, ब्याज या कैपिटल गेन – फंड यूनिट्स के मालिकों में बाँट दिया जाता है।
  • निवेशक जब अपनी यूनिट्स बेचते हैं तो उसी हिसाब से पैसा (मुनाफा या घाटा) मिल जाता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश के तरीके

निवेशक दो लोकप्रिय तरीकों से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

  • एकमुश्त: जब आप म्यूचुअल फंड को एक बड़ा भुगतान करते हैं, तो दिन के एनएवी मूल्य के आधार पर आपको यूनिटें आवटित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि उस दिन फंड का एनएवी 50 रुपये है तो आपको 10,000 रुपये के एकमुश्त निवेश के लिए 200 इकाइयाँ आवंटित की जाएंगी।
  • एसआईपी: एसआईपी में आप फंड में नियमित निवेश करते हैं। ये हर महीने भुगतान की जाने वाली छोटी निश्चित किस्तें हैं, और यूनिटें उस दिन के एनएवी मूल्य के आधार पर आवंटित की जाती हैं। एक व्यवस्थित निवेश योजना नियमित निवेश प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है और बाजार के लिए समय की आवश्यकता को समाप्त करती है। 

म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के 3 सामान्य तरीके हैं।

म्यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट के माध्यम सेउस स्थिति में, आपको उनकी वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा और एक खाता बनाना होगा। हालाँकि, यदि आप विभिन्न कंपनियों के कई फंडों में निवेश करना चाहते हैं तो यह तरीका अप्रभावी हो सकता है। 

बैंकों के माध्यम से:कभीकभी आपका बैंक आपको अपने नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध फंड में निवेश करने की अनुमति देता है। लेकिन यह संभावित योजनाओं की खोज करने की आपकी क्षमता को सीमित कर सकता है क्योंकि बैंक केवल सीमित संख्या में  फंड  को बढ़ावा दे सकता है।

ब्रोकर के माध्यम से – जैसे एंजेल वन ,ग्रो , ज़ेरोदा ,उपटॉस्क और मोतीलाल ओसवाल जैसे ब्रोकर की सहायता से भी आप म्यूच्यूअल फन में निवेश कर सकते है।

म्यूचुअल फंड के फायदे

  • पेशेवर प्रबंधन: निवेश को अनुभवी फंड मैनेजर द्वारा संभाला जाता है।
  • विविधता (Diversification): पैसा कई कंपनियों या उत्पादों में बंट जाता है जिससे जोखिम कम होता है।
  • कम पूंजी से निवेश: आप कम रकम से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।
  • तरलता (Liquidity): यूनिट्स को कभी भी बेचा जा सकता है और आसानी से पैसा मिल जाता है।

म्यूचुअल फंड के नुकसान

म्यूचुअल फंड के फायदे के साथ–साथ नुकसान को समझकर आप सोच–समझकर निर्णय ले सकेंगे।

  1. उतारचढ़ाव वाला रिटर्न: जो लोग निवेश पर निश्चित रिटर्न पसंद करते हैं उन्हें म्यूचुअल फंड के रिटर्न से निराशा हो सकती है। म्यूचुअल फंड निश्चित रिटर्न की पेशकश नहीं करते हैं और जोखिम से बचने वाले निवेशकों को आकर्षित नहीं कर सकते हैं। 
  2. शुल्क और व्ययम्यूचुअल फंड निवेश में प्रबंधन शुल्क, परिचालन व्यय और बिक्री भार जैसे शुल्क शामिल होते हैं। ये लागतें निवेशक के शुद्ध लाभ को कम कर सकती हैं।
  3. विविधीकरणविविधीकरण को हमेशा म्यूचुअल फंड के प्रमुख लाभ के रूप में उद्धृत किया जाता है, लेकिन अत्यधिक विविधीकरण आपके समग्र लाभ को कम कर सकता है। संभावना बढ़ जाती है क्योंकि आपका अपने पोर्टफोलियो पर नियंत्रण कम होता है।
  4. फंड मूल्यांकनकुछ निवेशकों को फंड – प्रदर्शन, एनएवी आदि की तुलना करना मुश्किल हो सकता है। यदि आप पूरी तरह से नए निवेशक हैं तो आपको म्यूचुअल फंड जटिल लग सकता है।
  5. एक्ज़िट लोड: जब आप एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर अपनी इकाइयों को भुनाते हैं तो फंड हाउस शुल्क लेगा। ये शुल्क फंड से बारबार निकासी को हतोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन अंततः, वे फंड तक आपकी पहुंच को सीमित कर देंगे। 
  6. पिछला प्रदर्शनफंड के पिछले प्रदर्शन का मूल्यांकन एक सामान्य निर्णय लेने वाला कारक है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मजबूत पिछला प्रदर्शन भविष्य के प्रदर्शन की गारंटी नहीं देता है। 
  7. मैनेजर का प्रदर्शनफंड पर रिटर्न फंड मैनेजर के अनुभव और निर्णय पर निर्भर करता है। 
  8. पूंजीगत लाभ करनिवेश से प्राप्त लाभ पूंजीगत लाभ कर नियमों के अनुसार कर के अधीन है और इसके परिणामस्वरूप निवेशक के लिए कर दायित्व बढ़ सकता है। 

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana)


पीएम सूर्य घर मुफ्त ब‍िजली योजना क्‍या है?

PM Surya Ghar Muft Bijli Yojana: केंद्र सरकार की इस खास योजना का फायदा उठाकर आप ब‍िजली के मोटे ब‍िलों से छुटकारा पा सकते हैं। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त ब‍िजली योजना के तहत आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवा सकते हैं। इसके ल‍िए सरकार सब्‍स‍िडी भी देती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी, 2024 को देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और विदेशों पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू रूफटॉप सौर योजना पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत सोलर पैनल लगवाने के लिए सब्सिडी देने का प्रावधान रखा गया।

सोलर पैनल लगवाने के बाद आप 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली पा सकते हैं। यही नहीं अगर ज्यादा बिजली पैदा होती है तो उसे सरकार को बेचकर पैसा भी कमाया जा सकता है। इस योजना के तहत सरकार ने साल 2027 तक एक करोड़ सोलर पैनल लगाने का लक्ष्य बनाया। एक करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचाने के लक्ष्य के साथ सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से हर साल 75,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। साथ ही इस योजना से कार्बन फुटप्रिंट भी कम करने में मदद मिलेगी।

पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना संबंधी मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा फरवरी 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य छतों पर सौर पैनल संस्थापित कर एक करोड़ घरों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है।
  • इस योजना का परिव्यय 75,021 करोड़ रुपए है और इसे वित्त वर्ष 2026-27 तक लागू किया जाना है।
  • इसके अंतर्गत प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जाती है तथा संस्थापना लागत के लिये 40% तक सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे संपूर्ण देश में सौर ऊर्जा को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिलता है।

योजना की पात्रता

  • नागरिकता: आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • आयु: न्यूनतम 18 वर्ष।
  • घर: वैध मकान का मालिक होना चाहिए, छत पर जगह होनी चाहिए, और बिजली का वैध कनेक्शन होना चाहिए।
  • आय सीमा: सालाना आय ₹6 लाख तक (मुख्य रूप से प्राथमिकता)।
  • पहले कोई सब्सिडी न ली हो: पहले सोलर सब्सिडी का लाभ न लिया हो।

योजना के लाभ

  • मुफ्त बिजली: हर महीने 300 यूनिट तक हर घर को बिजली मुफ्त।
  • सब्सिडी:
    • 1–2 किलोवाट पैनल के लिए ₹30,000 प्रति kW की सब्सिडी (2 kW तक कुल ₹60,000)।
    • 2-3 kW के बाद हर kW पर ₹18,000 अतिरिक्त (3 kW तक ₹78,000)।
    • दिल्ली में अतिरिक्त ₹30,000 सब्सिडी राज्य सरकार की ओर से।
  • लोन: पैनल इंस्टालेशन के लिए रियायती बैंक लोन की सुविधा।
  • अन्य लाभ: बची हुई बिजली सरकार को बेच सकते हैं; रोज़गार और तकनीकी कौशल में बढ़ोतरी।

आवेदन प्रक्रिया

ऑनलाइन आवेदन: आधिकारिक पोर्टल https://pmsuryaghar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करें।

हेल्पलाइन: 15555

GST सुधारों से आम जनता को सीधे क्या लाभ होंगे ?

लघु उद्योग भारती (एलयूबी) संगठन ने जीएसटी परिषद की अनुमोदित नई सरलीकृत कर संरचना का स्वागत किया है। संगठन ने कहा कि 22 सितंबर से लागू होने वाले 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो-स्तरीय जीएसटी स्लैब भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी बदलाव साबित होंगे।

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में नए सुधारों से आम लोगों की जेब को बड़ी राहत मिलेगी. 3 सितंबर को 56वीं GST काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में नया टैक्स स्ट्रक्चर मंजूर किया गया. अब केवल दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% – होंगे. साथ ही हानिकारक सामानों पर 40% का विशेष टैक्स लगेगा.

उपभोक्ता की क्रय शक्ति बढ़ेगी: टैक्स स्लैब को दो में सीमित करने और सुधार से उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे खरीद क्षमता बढ़ेगी।

कीमतों में कमी से राहत: जीएसटी दरों को कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर कम कर दिया गया है, जिससे खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य सेवाएं, सीमेंट, कृषि उपकरण आदि सस्ते होंगे और आम आदमी की दैनिक जरूरतों पर खर्च कम होगा।

रोज़गार और आर्थिक विकास में योगदान: सस्ती वस्तुओं की अधिक मांग से उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

स्वास्थ्य सेवाओं की सस्ती उपलब्धता: जीवन रक्षक दवाओं और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी हटने से स्वास्थ्य संबंधी खर्च कम होंगे।

कृषि व छोटे उद्योगों को लाभ: खेती से जुड़े उपकरण और छोटे उद्योगों पर टैक्स कटौती से किसान और छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी।

डेयरी किसानों को होगा फायदा

सरकार ने खेती में इस्तेमाल होने वाली चीजों और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी की दरें कम कर दी हैं। इससे किसानों को बहुत मदद मिलेगी। कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CLFMA) के अध्यक्ष दिव्या कुमार गुलाटी ने डेयरी प्रोडक्ट पर टैक्स कम करने को प्रगतिशील कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे भारत के 8 करोड़ डेयरी किसानों को फायदा होगा।

Disclaimer

All information available on NBusiness is provided for educational and informational purposes only. The content of this blog is not investment, financial, tax or legal advice. The information provided here is not based on your personal situation.

The views and analysis presented here are based on the author’s personal experience and research, and should not be construed as professional advice.

Please consult a qualified financial, legal or other expert before implementing any decision or making any investment.

NBusiness and its authors will not be responsible for any direct or indirect loss resulting from the use or reliance on the information provided on this blog.

You are solely responsible for using the content of this blog.