लघु उद्योग भारती (एलयूबी) संगठन ने जीएसटी परिषद की अनुमोदित नई सरलीकृत कर संरचना का स्वागत किया है। संगठन ने कहा कि 22 सितंबर से लागू होने वाले 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो-स्तरीय जीएसटी स्लैब भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी बदलाव साबित होंगे।

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में नए सुधारों से आम लोगों की जेब को बड़ी राहत मिलेगी. 3 सितंबर को 56वीं GST काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में नया टैक्स स्ट्रक्चर मंजूर किया गया. अब केवल दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% – होंगे. साथ ही हानिकारक सामानों पर 40% का विशेष टैक्स लगेगा.

उपभोक्ता की क्रय शक्ति बढ़ेगी: टैक्स स्लैब को दो में सीमित करने और सुधार से उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे खरीद क्षमता बढ़ेगी।
कीमतों में कमी से राहत: जीएसटी दरों को कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर कम कर दिया गया है, जिससे खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य सेवाएं, सीमेंट, कृषि उपकरण आदि सस्ते होंगे और आम आदमी की दैनिक जरूरतों पर खर्च कम होगा।
रोज़गार और आर्थिक विकास में योगदान: सस्ती वस्तुओं की अधिक मांग से उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
स्वास्थ्य सेवाओं की सस्ती उपलब्धता: जीवन रक्षक दवाओं और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी हटने से स्वास्थ्य संबंधी खर्च कम होंगे।
कृषि व छोटे उद्योगों को लाभ: खेती से जुड़े उपकरण और छोटे उद्योगों पर टैक्स कटौती से किसान और छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी।
डेयरी किसानों को होगा फायदा
सरकार ने खेती में इस्तेमाल होने वाली चीजों और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी की दरें कम कर दी हैं। इससे किसानों को बहुत मदद मिलेगी। कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CLFMA) के अध्यक्ष दिव्या कुमार गुलाटी ने डेयरी प्रोडक्ट पर टैक्स कम करने को प्रगतिशील कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे भारत के 8 करोड़ डेयरी किसानों को फायदा होगा।