क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है ?

क्रेडिट कार्ड काम कैसे करता है , लेकिन उससे पहले ये जानते है कि क्रेडिट कार्ड होता क्या है |

क्रेडिट कार्ड एक भुगतान कार्ड है, जो आमतौर पर बैंक द्वारा जारी किया जाता है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को सामान या सेवाएं खरीदने या क्रेडिट पर नकदी निकालने की अनुमति देता है। इस प्रकार कार्ड का उपयोग करने पर कर्ज़ चढ़ जाता है जिसे बाद में चुकाना पड़ता है। क्रेडिट कार्ड का अर्थ एक वित्तीय टूल है जो बैंक द्वारा जारी किया जाता है। इसका उपयोग कर आप अपने पर्सनल खर्चों, ऑनलाइन खरीददारी, यात्रा आदि के लिए कहीं भी व कभी भी कर सकते हैं।

क्रेडिट कार्ड का सही तरीके से उपयोग आपको आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। आइए जानते है कि क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है:

  1. क्रेडिट लिमिट: बैंक या कार्ड जारीकर्ता आपकी क्रेडिट योग्यता के आधार पर एक सीमा निर्धारित करता है, जिसे क्रेडिट लिमिट कहते हैं। आप इस लिमिट के अंदर ही खर्च कर सकते हैं।
  2. खरीदारी: जब आप क्रेडिट कार्ड से कोई सामान या सेवा खरीदते हैं, तो आपका कार्ड नंबर व्यापारी के बैंक को भेजा जाता है। यह बैंक क्रेडिट कार्ड नेटवर्क के माध्यम से आपकी जानकारी करदाता बैंक (कार्ड जारीकर्ता) को भेजता है।
  3. लेन-देन की पुष्टि: कार्ड जारीकर्ता बैंक आपके खाते की क्रेडिट लिमिट और अन्य विवरण जांच कर लेन-देन को स्वीकृत या अस्वीकृत करता है।
  4. ब्याज मुक्त अवधि: क्रेडिट कार्ड में आमतौर पर 40-50 दिनों का बिलिंग साइकिल होता है, जिसमें अगर आप पूरा बिल समय पर चुकाते हैं तो ब्याज नहीं लगता।
  5. बिल और भुगतान: हर महीने आपको क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट प्राप्त होता है जिसमें आपके कुल खर्चे, शेष राशि, न्यूनतम भुगतान राशि और भुगतान की अंतिम तिथि होती है। आप तय दिन तक भुगतान कर सकते हैं या कम से कम न्यूनतम राशि चुका सकते हैं।
  6. ब्याज: अगर आप पूरा बिल समय पर नहीं चुकाते हैं तो शेष राशि पर ब्याज लगना शुरू हो जाता है, जो आमतौर पर 35%-40% और ज्यादा भी हो सकता है ये डिपेंड करता है उस बैंक पर जो क्रेडिट देता है आपको ।
  7. कैश एडवांस: क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आप नकद भी निकाल सकते हैं, लेकिन कैश एडवांस पर ब्याज तुरंत लगना शुरू हो जाता है और यह सामान्य खर्च की तुलना में अधिक महंगा पड़ता है।
  8. रिवॉर्ड और कैशबैक: कई क्रेडिट कार्ड रिवार्ड पॉइंट, कैशबैक और अन्य लाभ भी देते हैं, जैसे खाने-पीने, ट्रैवल, या शॉपिंग पर छूट।

व्यावहारिक उदाहरण के साथ समझिये:

  1. क्रेडिट लिमिट मिली:
    मान लीजिए बैंक ने आपको 50,000 रुपये का क्रेडिट कार्ड दिया है। इसका मतलब है कि आप अधिकतम 50,000 रुपये तक का खर्च कर सकते हैं।
  2. खरीदारी करना:
    आप कहीं कपड़े खरीदने जाते हैं और 10,000 रुपये के कपड़े खरीदते हैं। आप अपने क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं।
  3. लेन-देन प्रोसेसिंग:
    आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी (जैसे कार्ड नंबर, एक्सपायर डेट, CVV) दुकान के बैंक को भेजी जाती है।
    बैंक आपकी क्रेडिट लिमिट और डिटेल्स चेक करता है और अगर सब ठीक हो तो खरीदारी को मंजूरी दे देता है।
  4. बैंक भुगतान करता है दुकानदार को:
    बैंक तुरंत दुकानदार को 10,000 रुपये भेज देता है ताकि आपका सामान फटा-फट मिल सके।
  5. आपका क्रेडिट लिमिट घटती है:
    अब आपकी क्रेडिट लिमिट 50,000 – 10,000 = 40,000 रुपये रह जाती है, यानी आप अगले 40,000 रुपये तक ही खर्च कर सकते हैं।
  6. बिल और भुगतान:
    महीने के अंत में बैंक आपको क्रेडिट कार्ड का एक स्टेटमेंट भेजेगा जिसमें आपकी कुल खर्ची हुई राशि दिखेगी।
    • आपको यह दिखाया जाएगा कि कुल कितना खर्च हुआ (यहाँ 10,000 रुपये)
    • आखिरी तारीख तक पूरा बिल चुकाने पर कोई ब्याज नहीं लगेगा
    • आप चाहे तो न्यूनतम राशि भी चुका सकते हैं, लेकिन शेष राशि पर ब्याज लगेगा
  7. ब्याज मुक्त अवधि:
    आमतौर पर ये अवधि लगभग 40-50 दिन होती है, अगर आप इस अवधि में पूरा बिल चुका देते हैं तो आपको कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना पड़ता।
  8. यदि भुगतान समय पर न हुआ:
    अगर आप पूरा या न्यूनतम बिल अंतिम तारीख तक नहीं चुका पाते, तो शेष राशि पर बैंक ब्याज वसूल करेगा।
  9. रिवॉर्ड और कैशबैक:
    कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां आपको खर्च पर रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक, छूट और ऑफर्स भी देती हैं। जैसे आपने कुछ खरीदारी की, तो आपको कुछ पैसे वापस मिल सकते हैं या पॉइंट्स जमा हो सकते हैं जिन्हें आप भविष्य में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  10. कैश एडवांस:
    क्रेडिट कार्ड से आप एटीएम से नकद भी निकाल सकते हैं, लेकिन कैश एडवांस पर ब्याज तुरंत लगने लगता है जो बहुत अधिक होता है।

इस प्रकार, क्रेडिट कार्ड आपको तुरंत खरीदारी की सुविधा देता है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल महत्वपूर्ण है ताकि उधार में ब्याज न बढ़े और क्रेडिट स्कोर भी अच्छा बना रहे।

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